1.
Tere Husn में ऐसा खो गया,
जैसे समुंदर में कोई कश्ती डूब गई।
अब न वापसी का रास्ता रहा,
न मंज़िल का कोई नक्शा बचा।
2.
तेरे हुस्न ने कुछ ऐसा जादू चलाया,
होश भी गया और चैन भी।
तेरे चेहरे की उस मासूम रौशनी में,
मैं खुद को ही भूल बैठा कहीं।
3.
तेरी आँखों में डूबा जब से,
हर नज़ारा बस धुंधला लगता है।
तेरे हुस्न में खो जाने का नशा,
हर नशे से ज्यादा गहरा लगता है।
4.
तेरे हुस्न में जब नज़रें उलझ गईं,
तो हर साज़िश मोहब्बत लगने लगी।
मैं जो खुद को ढूंढने निकला था,
वो तलाश तुझमें ही सिमट गई।
5.
तेरे हुस्न में कुछ बात है,
जो हर बार मुझे खामोश कर दे।
मैं लफ़्ज़ों में ढूंढूं तुझे,
और तू ख्यालों में आवाज़ दे।
6.
तेरे हुस्न में जब डूब गया,
तो खुद की पहचान खो दी मैंने।
तू ही तू दिखा हर सूरत में,
हर अक्स में तुझको ही जोड़ा मैंने।
7.
तेरे हुस्न की बारिश में भीग गया,
हर दर्द, हर ग़म धुल गया।
अब तो बस तेरा ही नाम,
हर साँस में घुल गया।
8.
तेरे हुस्न में खो जाना भी क्या कमाल है,
हर लम्हा तुझसे मिलने का सवाल है।
तेरे ख्याल में ही दिन ढले,
और तुझसे मिलना मेरी सबसे बड़ी मिसाल है।
9.
तेरे हुस्न की उस झलक में,
मैंने खुद को कहीं खो दिया।
तेरी मुस्कान के उस नूर ने,
मेरे दिल को तेरे हवाले कर दिया।
10.
तेरे हुस्न में कुछ ऐसा रंग है,
जो रूह तक को छू जाए।
जिसे एक बार देख लिया,
वो कभी नज़रें हटा न पाए।
11.
तेरे हुस्न में खो गया यूं,
जैसे पतंग हवा में बिन डोर के उड़ जाए।
अब तुझसे दूर होना नामुमकिन,
जैसे ज़िंदगी बिना साँसों के रह जाए।
12.
तेरी ख़ूबसूरती में वो बात है,
जो हर रोज़ एक नई प्यास दे।
तेरे हुस्न में जो खो गया,
वो हर दर्द को मिठास दे।
13.
तेरे हुस्न की वो पहली झलक,
मेरे होश उड़ाने को काफी थी।
अब तो हर लम्हा बस तुझमें,
जैसे रूह में तू ही बाकी थी।
14.
तेरे चेहरे की रौशनी में,
मैं खुद को देखना भूल गया।
तेरे हुस्न की उस दुनिया में,
मैं हर हकीकत से दूर गया।
15.
तेरे हुस्न ने जब दस्तक दी,
तो दिल ने दरवाज़ा खोल दिया।
अब तू ही तू है हर ख्वाब में,
हर रास्ता तुझपे ही मोड़ दिया।
16.
तेरे हुस्न में जब मैं डूबा,
तो लफ़्ज़ भी चुपचाप हो गए।
तेरी मौजूदगी ही काफी थी,
हर जख़्म को मरहम देने के लिए।
17.
तेरे हुस्न में वो गहराई है,
जहां हर ख्वाब डूब जाए।
तेरे चेहरे से नज़रें हटे नहीं,
और दिल फिर भी और चाहे।
18.
तेरे हुस्न की ख़ामोशी भी,
मुझसे कई बातें कर जाती है।
जब तू सामने होती है,
तो रूह तक मुस्कुराती है।
19.
तेरे हुस्न में खोकर मैंने जाना,
इश्क़ क्या होता है।
जो पहले बस किताबों में था,
वो अब हर धड़कन में होता है।
20.
तेरे हुस्न में जब खो गया,
तो हर चीज़ तुझसे जुड़ती गई।
मैं तुझमें ढूंढता गया खुद को,
और ज़िंदगी बस तुझसे सिमटती गई।
21.
तेरा हुस्न नहीं देखा तो क्या देखा,
तेरे चेहरे पे ही रौशनी ठहरी है।
मैं तो कब का खो गया तुझमें,
अब बस तेरी मोहब्बत ही मेरी ज़िंदगी है।
22.
तेरे हुस्न में जब रूह खो गई,
तो जिस्म भी तेरा हो गया।
अब न कोई फासला रहा,
न कोई नाम अलग रह गया।
23.
तेरे हुस्न की उस एक नज़र में,
मैंने ज़िंदगी का मक़सद पाया।
अब हर सवाल का जवाब तू है,
और हर ख्वाब ने तुझमें साया पाया।
24.
तेरे हुस्न में जब डूबे अल्फाज़,
तो शायरी भी चुप रह गई।
तू जो आई सामने,
तो मोहब्बत भी बेबस सी लग गई।
25.
तेरे हुस्न में जो खो गया,
वो फिर कभी न लौट पाया।
तेरी आँखों के उस समंदर में,
हर दर्द खुद डूब गया।
Conclusion:
जब इंसान Tere Husn Mein Kho Gaya महसूस करता है, तब उसकी ज़िंदगी सिर्फ़ एक नाम, एक चेहरा और एक एहसास में सिमट जाती है। यही एहसास हम लफ़्ज़ों में पिरो कर आपके सामने लाए हैं।
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